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लेखनी कविता - मोड़

मोड़

जब जीवन और दुनियां से अनजान होते है,
तब वो दौर होता है जब सब अपने होते है।
पर जीवन के पड़ाओ में एक मोड़ वो भी आता है,
जब वही अपने सब बेगाने बने खड़े होते है।


🖋️ स्वाती चौरसिया

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2 Comments

अदिति झा

03-Feb-2023 11:41 AM

Nice 👍🏼

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Gunjan Kamal

02-Feb-2023 12:14 PM

शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻

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